ईरान-इजरायल युद्ध के बिच भारत की GDP पर क्या पड़ेगी असर

12 अप्रैल को कच्चे तेल की कीमतों में 1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, ईरान और इजराइल के बीच युद्ध की आशंका से कच्चे तेल की कीमतें 6 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं।शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड का भाव 90.45 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है।
इजराइल-ईरान युद्ध के दौरान मध्य पूर्व में तनाव बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के कारण कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर सकती है। युद्ध के कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतें भी बढ़ सकती हैं, जिससे इसका सीधा प्रभाव भारतीयों की जेब पर पड़ सकता है।
शनिवार रात को, ईरान ने इजराइल पर ड्रोन, क्रूज मिसाइल्स, और बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ हमला किया। इसके बाद से मध्य पूर्व में तनाव बढ़ गया है। दुनिया भर में डर है कि ईरान और इजराइल के बीच युद्ध के संकेत से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। यह भारत के लिए भी चिंता का सबब बन सकता है, क्योंकि यह महंगाई को बढ़ा सकता है और शेयर बाजार पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
ईरान और इजराइल के युद्ध के बिच क्या पड़ेगा असर भारत की इकोनॉमी पर।
ईरान और इजराइल के बीच युद्ध की आशंका से कच्चे तेल की कीमतें 6 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं हैं। 12 अप्रैल को कच्चे तेल की कीमतों में 1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत 90.45 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है। साथ ही, यूएस WTI कच्चे तेल की कीमत 85.66 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर है। जानकारों का अनुमान है कि यदि यह जंग बड़ी होती है तो ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकती है। भारत अपने अधिकांश कच्चे तेल की खपत को आयात करता है, इसलिए कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी भारत के लिए समस्यात्मक है।
भारत और ईरान का व्यापारी सम्बन्ध केसा था?
ईरान-इजराइल के साथ व्यापार के परिणाम संभव है कि भारत के दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध पर प्रभाव पड़ेगा। भारत ने पिछले साल ईरान और इजराइल के साथ कुल 1.1 लाख करोड़ रुपये का व्यापार किया। भारत ने ईरान के साथ 20,800 करोड़ रुपये का व्यापार किया। भारत मुख्य रूप से ईरान को चाय, कॉफी, बासमती चावल, और चीनी निर्यात करता है। पिछले साल भारत से ईरान को 15,300 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ। वहीं, भारत ने ईरान से पेट्रोलियम कोक, ड्राई फ्रूट्स, और कई अन्य चीजें आयात कीं। इनकी कीमत 5500 करोड़ रुपये थी। भारत चाबहार बंदरगाह और पास के चाबहार विशेष औद्योगिक परिसर के विकास में भी भागीदार है। साल 2023 में भारत का इजराइल के साथ व्यापार 89 हजार करोड़ रुपये का था। भारत ने ईरान को 70 हजार करोड़ रुपये की वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात किया।
अगर ट्रांसपोर्टेशन का ये रास्ता बंध हुआ तो भारत को पड़ेगा महँगा।
अगर ईरान-इजरायल युद्ध से होर्मुज जलडमरूमध्य का रास्ता प्रभावित होता है, तो भारत को काफी नुकसान हो सकता है। एक रिपोर्ट में एक विशेषज्ञ के हवाले से यह कहा गया है। होर्मुज जलडमरूमध्य कच्चे तेल के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है। हालांकि, भारत अपनी अधिकांश कच्चे तेल की जरूरतों का आयात करता है, ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से राजनैतिक व्यवहार पर बोझ पड़ सकता है और देश में मुद्रास्फीति का संकट पैदा हो सकता है ये रास्ता व्यापर के लिए भारत के लिए बहुत अहेम भूमिका निभा रहा है।
शेयर बाजार में काफी हद तक उतार चढ़ाव आने की संभावना है।
आगामी सप्ताह शेयर बाजार के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है। मध्य पूर्व में तनाव बढ़ने से बाजार में उतार-चढ़ाव हो सकता है। इसके साथ ही, वैश्विक इक्विटी बाजार में भी उतार-चढ़ाव की संभावना है।ये युद्ध और देशो में चल रही हलचल के आधार पर शेर मार्किट में गिरावट आने के काफी चांस है।