क्या आप ‘इमोशनल ईटिंग’ के शिकार हो? जानें इसके लक्षण और इससे निकलने के उपाय

अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोग तनाव और नकारात्मक भावनाओं से निपटने के लिए खाने का सहारा लेते हैं। ऐसी स्थिति में जब वे तनाव में होते हैं, तो उन्हें कुछ खाने की इच्छा होने लगती है। इसे ही इमोशनल ईटिंग कहते हैं।
What Is Emotional Eating? (इमोशनल ईटिंग क्या है?)
इमोशनल ईटिंग एक ऐसी आदत है जिसमें आप अक्सर नकारात्मक भावनाओं से बचने के लिए जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं। कभी-कभी आधी रात की भूख आपको फ्रिज में खाना ढूंढने पर मजबूर कर देती है।इसमें लोग ज्यादातर फास्टफूड का सेवन बिना सोचे समजे करने लगते है।
कई बार आप गुस्से, उदासी, पार्टनर से ब्रेकअप या किसी जुनूनी विचार के डर से खाना शुरू कर देते हैं। बिना लाभ-हानि जाने जो मिल जाए वही खाने लगते है और फिर पछतावे की आग में जलते हो कि हाय, इतना क्यों खा लिया।
तनाव के कारण, असफलता के भय से व्यक्ति के अंदर नकारात्मकता आ जाती है इसी तनाव में लोग बाहर की फालतू चीजें जैसे पिज्जा, पास्ता, मोमोज आदि खाता है। उसका पेट भरा होने पर भी उसे कुछ खाने का मन करता है और फिर उसे खाने के बाद ग्लानि महसूस होती है।
दरअसल, आज के युवा पारिवारिक दबाव, जॉब पर काम का दबाव, स्टूडेंट को फ़ैल होने का टेंशन इन सब बातो का इतना दबाव होता है कि वह परेशान हो जाता है और इसको भूलने के लिए भावुक होकर कुछ भी खा लेता है।
डॉक्टरों का कहना है कि खाने और भूख का हमारी भावनाओं और तनाव से गहरा संबंध है। कभी-कभी ऐसा होता है कि जब हम अच्छा महसूस करते हैं तो हमें कुछ भी खाने का मन नहीं होता है, लेकिन जब हम भावनात्मक तनाव में होते हैं। भोजन करना, जिसे स्ट्रेस ईटिंग भी कहा जाता है। इसमें व्यक्ति अधिक खाता है। उच्च कैलोरी वाला भोजन करना, जैसे फ़ास्ट फ़ूड, चॉकलेट, आइसक्रीम, मिठाई आदि भले ही मन न हो फिर भी खाने लगते है क्युकी वो स्ट्रेस में है।
Emotional Eating Side Effects (इमोशनल ईटिंग के नुकसान)
इमोशनल ईटिंग से हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है, जैसे मोटापा, अस्थमा, जोड़ों की समस्या, हृदय रोग, टाइप 2 डायबिटिक, उचित पोषक तत्वों की कमी ये इमोशनल ईटिंग से निपटने का गलत तरीका है।
What is biz eating? (बिज़ ईटिंग क्या है?)
आमतौर पर हम भोजन के बीच अंतराल रखते हैं, लेकिन ।बिज़ ईटिंग की समस्या होती है वो लगातार खाते रहते है ज़्यादा खाना असुविधाजनक, फिर भी कंट्रोल नहीं कर सकते क्युकी वो बिज़ ईटिंग का शिकार है। बिज़ ईटिंग से पीड़ित व्यक्ति अकेले खाते हैं, किसी के सामने नहीं, क्योंकि यह बुरा लगता है। इसे लिंज़ ईटिंग कहा जाता है।
‘कॉफी विद करण’ शो में अभिनेता अर्जुन कपूर और अभिनेत्री सोनम कपूर भी अपने वजन घटाने के बारे में बता चुके हैं कि दोनों इमोशनल ईटर रहे हैं।
बिहार के कटिहार जिले का रहने वाला 30 वर्षीय रफीक अदनान खाने के विकार ‘बुलिमिया नर्वोसा’ से पीड़ित है। इसका वजन 200 किलो है।

इमोशनल ईटिंग बन सकती है जान की दुश्मन!
दिल्ली में ईटिंग डिसऑर्डर एक्सपर्ट और सीनियर एक्सपर्ट साइकेट्रिस्ट डॉ. संजय चुथ का कहना है कि कभी-कभी इमोशनल ईटिंग नियंत्रण से बाहर हो जाती है और ईटिंग डिसऑर्डर में बदल जाती है और कभी-कभी ईटिंग डिसऑर्डर का खतरा बढ़ जाता है। इमोशनल ईटिंग के कारण बॉलीवुड सिंगर अदनान सामी का वजन 230 किलोग्राम तक बढ़ गया।
मजे से खाने को सजा मत बनाइये!
हम पेट भरने के लिए खाना खाते हैं जिसे पॉजिटिव ईटिंग कहते हैं। क्योंकि खाना हमारे शरीर के लिए उतना ही जरूरी है जितना कि नींद। सकारात्मक खान-पान से मस्तिष्क में तुरंत डोपामाइन नामक रसायन बढ़ता है और हमें तनाव से मुक्ति मिलती है। जब हमें भूख लगती है तो हमारा दिमाग काम करना बंद कर देता है और जब हमारा पेट भरा होता है तो दिमाग भी अच्छे से काम करता है। इसके विपरीत, नकारात्मक खान-पान में व्यक्ति तनाव से घिर जाता है।
अतृप्त भूख, कुछ भी खाने की इच्छा, खाने और दोबारा खाने के बाद भी खालीपन महसूस होना। ज्यादा खाने के बाद पछताना ये लक्षण है इमोशनल ईटिंग।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन में प्रकाशित एक सर्वेक्षण के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इमोशनल ईटिंग की प्रवृत्ति अधिक होती है। पारिवारिक ज़िम्मेदारियाँ, ऑफिस का तनाव, स्वास्थ्य समस्याओं के कारण फ़ास्ट फ़ूड और आइसक्रीम खाने से परहेज नहीं करते । वह बचा हुआ खाना भी खाता है ताकि खाना बर्बाद न हो, कई बार हम यह मजाक कर फूड कैविंग से बचते हैं कि थोड़ा ज्यादा खाने से कुछ नहीं होता। लेकिन इमोशनल ईटिंग कोई मज़ाक नहीं, चिंता का विषय है।
एक सर्वे के मुताबिक ओबिसिटी बढ़ने के आंकड़े
एक सर्वे के मुताबिक 2015-16 की तुलना में 2019-21 में 23 प्रतिशत पुरुषों में और 24 प्रतिशत महिलाओं में ओबिसिटी का शिकार हुई है, दूसरी और 2015-16 में 5 वर्ष से छोटे बच्चो में 2.1 से 3.4% ओवरवेइट का शिकार है।
न्यूट्रिशनिस्ट सामान्य तौर पर ऐसा कहते हैं की नेगटिव इमोशन्स में लोग ज्यादा इमोशनल ईटिंग करते हैं। जैसे इमोशन्स बदलते है, हार्मोन का संतुलन भी बिगड़ने लगता है। तनावपूर्ण स्थितियों में कोर्टिसोल हार्मोन लड़ने के लिए आगे आता है,
इसलिए शरीर को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, ऐसे में शरीर कार्बोहाइड्रेट की डिमांड करता है और लोग ओवरईटिंग करने लगते है।
इमोशनल ईटिंग से बचने के लिए विकल्प खोजें
- अगर आपको इमोशनल ईटिंग की आदत है तो हाई शुगर या फैट वाले फूड की बजाय हेल्पफुल डाइट लें जैसे की सलाद, ओट्स, फ्रूट्स, नट्स।
- अगर आप इमोशनल ईटिंग से बचना चाहते हैं तो व्यायाम, वॉकिंग, प्रायाणाम करके खुद को व्यस्त कर दे।
- तनाव दूर करने के लिए आपकी पसंदीदा किताब पढ़िए।
- अपनी पसंद का संगीत सुनें और खुद को स्ट्रेस से मुक्त करे।
- दोस्तों के साथ फ़ोन पर बात करें या फिर या कोई गेम खेलें।
- कोई ऐसी एक्टिविटी करे जो आपको तनाव मुकत करे।