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Chandipura virus: आपके घर में बच्चे है तो हो जाइये सावधान क्युकी चांदीपुरा वायरस गुजरात में तेजी से फ़ैल रहा है, जानिए ‘चांदीपुरा वायरस’ के लक्षण और उपाय

चांदीपुरा वायरस

गुजरात में चांदीपुरा वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है, जिससे अब तक 15 मरीजों की मौत हो चुकी है। राज्य के 13 जिलों में चांदीपुरा वायरस के 29 संदिग्ध मामले सामने आए हैं। इस खतरे को देखते हुए राज्य का स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में आ गया है।

इन 29 संदिग्ध मामलों में से 26 गुजरात से और 3 अन्य राज्यों से हैं। राजस्थान से 2 और मध्य प्रदेश से 1 मामला सामने आया है। गुजरात में चांदीपुरा वायरस के मामले साबरकांठा, अरवल्ली, मेहसाणा, मोरबी, अहमदाबाद और गांधीनगर जिलों में पाए गए हैं। वायरस को फैलने से रोकने के लिए प्रशासन पूरी तरह से सक्रिय है और जरूरी कदम उठा रहा है।

चांदीपुरा वायरस: 1965 में नागपुर से शुरू हुआ खतरनाक वायरस

साल 1965 में नागपुर शहर के चांदीपुरा गांव में एक नए वायरस का प्रकोप देखा गया। इस वायरस की चपेट में आने से 14 से 15 साल के कई बच्चे मारे गए थे। चूंकि इस वायरस की शुरुआत नागपुर के चांदीपुरा गांव से हुई थी, इसलिए इसे चांदीपुरा वायरस के नाम से जाना जाने लगा।

चांदीपुरा वायरस: लक्षण और खतरे

चांदीपुरा वायरस की चपेट में आने वाले बच्चों में निम्नलिखित लक्षण नजर आते हैं:

  1. अचानक तेज बुखार
  2. उल्टी और दस्त
  3. दौरे पड़ना
  4. सिर दर्द
  5. मस्तिष्क में सूजन
  6. ऐंठन

इन लक्षणों के कारण बच्चों की मौत भी हो सकती है। इस वायरस से संक्रमित बच्चे लक्षण दिखने के 48-72 घंटों के भीतर मर जाते हैं, जिससे यह वायरस शिशुओं और वयस्कों के लिए बहुत घातक माना जा रहा है।

चांदीपुरा वायरस के संक्रमण से बचने के लिए जल्द से जल्द मेडिकल सहायता प्राप्त करना और उचित सावधानियां बरतना आवश्यक है। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन इस वायरस के फैलाव को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।

चांदीपुरा वायरस पर वैज्ञानिकों की राय

वैज्ञानिकों के अनुसार, चांदीपुरा वायरस के बारे में निम्नलिखित बातें महत्वपूर्ण हैं:

  1. संक्रमण का तरीका:
    • यह वायरस मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी और एडीज मच्छर के काटने से फैलता है।
    • वैज्ञानिक इसे RNA वायरस के रूप में देख रहे हैं।
  2. प्रभाव:
    • इस वायरस का सबसे ज्यादा असर 15 साल से कम उम्र के बच्चों पर होता है।
    • इस बीमारी के गंभीर मामलों में मृत्यु दर 56 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक हो सकती है।
  3. दवा की कमी:
    • चिंता की बात यह है कि अभी तक इस वायरस से लड़ने वाली कोई दवा नहीं बनाई गई है।

चांदीपुरा वायरस से बचाव: आवश्यक उपाय

चांदीपुरा वायरस से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएं:

  1. मच्छरों और मक्खियों से बचाव:
    • बच्चों को रात में और सुबह-शाम पूरी बाजू के कपड़े पहनाएं।
    • मच्छरों और मक्खियों से बचने के लिए रात में मच्छरदानी (नेट) का उपयोग करें।
    • मॉस्किटो रिपेलेंट (मच्छर भगाने वाले उत्पाद) का इस्तेमाल करें।
  2. सुरक्षित घर:
    • खिड़की और दरवाजों को बंद रखें ताकि मच्छर और मक्खियां घर में प्रवेश न कर सकें।
  3. साफ-सफाई:
    • घर के आस-पास साफ-सफाई बनाए रखें और कचरे को सही तरीके से निपटाएं।
    • पानी के स्रोतों को ढककर रखें ताकि मच्छर उनमें अंडे न दे सकें।

मच्छरों और मक्खियों के काटने से फैलने वाले चांदीपुरा वायरस से बचाव के लिए व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर इन उपायों को अपनाना बेहद जरूरी है। इसके अलावा, संक्रमित क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें और किसी भी संदिग्ध लक्षण के दिखने पर तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें।

चांदीपुरा वायरस फैलाने वाली मक्खियों ‘सेन्डफलाय’

  1. यह मखी एक बार में 30/70 अंडे दे सकती है।
  2. यह दिखने में सफेद रंग की होती है।
  3. यह मक्खी सामान्य मक्खी से चार गुना छोटी होती है।
  4. यह मक्खी उतनी बड़ी है जितनी हम आंखें देख सकती हैं।

खतरनाक’सेन्डफलाय’ मक्खी कहाँ रहती है?

  1. यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अधिक पाई जाती है।
  2. इसका संक्रमण घर के अंदर भी हो सकता है।
  3. घर की दीवार पर या उसकी दरारों में पाई जाती है।
  4. नम वातावरण में संक्रमण बढ़ जाता है।
  5. यह प्लास्टर किये हुए मकानों की दरारों में भी पाई जाती है।
  6. यह मक्खी दीवार के छेदों में भी पाई जा सकती है।

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