शनिवार को छुट्टी का दिन था, छुट्टी के दिन भीड़ जुटाने के लिए गेमिंग जोन के मैनेजमेंट ने 99 रुपये एंट्री फीस की स्कीम थी, छुट्टी का दिन होने और मात्र 99 रुपये फीस होने की वजह से वहां लोगों की अच्छी खासी भीड़ थी।

TRP गेम जोन के पास नहीं था फायर डिपार्टमेंट का NOC।

ना ही कोई इमरजेंसी डोर और ना ही आग बुझाने का सामान। 

इसका स्ट्रक्चर ही ऐसा था को अगर कोई दुर्घटना हो जाए तो न तो कोई बाहर निकल सकता है और न ही कोई बाहर से अंदर आ सकता है। 

ज्वलनशील पदार्थों के साथ पूरा गुंबद पैक था , एंटेरी और एक्सिट एक ही स्थान पर था। 

आग लगने के दौरान अग्नि सुरक्षा साधन और कोई सेफ्टी सुविधा नहीं रखे गए थे। ये उपकरण पेटीपैक मिले। 

 कई तस्वीरों में देखा जा सकता है कि किस तरह से अंदर जिन लोगों की मौत आग की वजह से हुई है उनके शवों को कैसे कपड़ों के गट्ठर में बांधकर बाहर निकाला गया है। 

टीआरपी गेम जोन के मैनेजर और एक पार्टनर को हिरासत में लिया गया, दो पार्टनरों के मोबाइल बंद मिले।

मृतक के परिवार को 4 लाख, घायलों को 50 हजार की सहाय। 

राजकोट शहर-जिला सरकारी तंत्र की भयावह लापरवाही, बिना फायर एनओसी या मंजूरी के गेमज़ोन चार साल से चल रहा था।