Heeramandi Review: 200 करोड़ बजट और 14 साल की मेहनत, क्या फेन के दिल पर राज कर पायेगी ‘हीरामंडी’

Heeramandi Review: इस कहानी का मुख्य धाराप्रवाह लाहौर के कोठों के चारों ओर की है। मल्लिका जान के जीवन पर ध्यान केंद्रित है, जो लाहौर के इस कोठे में कैसे पहुंची और वहां की प्रमुख तवायफा कैसे बनी। उसकी बड़ी बेटी बिब्बोजान का क्रांतिकारी समर्थन भी इस कहानी में महत्वपूर्ण है। दूसरी बेटी आलमजेब के लिए उनकी शेरो शायरी के माध्यम से बचाव के रूप में काम करती है। उन दोनों की प्रेम कहानियों के अलावा, लज्जो की एक दिलचस्प प्रेम कहानी भी है। फिल्म में नए तेवर के साथ पुराने गुनाह की कहानी है, जो कब्जे की जंग के दौरान आज़ादी की लड़ाई में बदल जाती है। यह एक ऐसी पाटकथा है जो देखने वालों को आखिर तक बांधकर रखती है।
Heeramandi में कितने कलाकार है | मनीषा कोइराला, अदिति राव हैदरी, सोनाक्षी सिन्हा, संजीदा शेख, शर्मिन सहगल, ऋचा चड्ढा, ताहा शाह, जैसन शाह, फरदीन खान, अध्ययन सुमन, और शेखर सुमन। |
Heeramandi के लेखक | मोइन बेग, संजय लीला भंसाली, विभु पुरी, और दिव्य निधि। |
Heeramandi के निर्देशक | संजय लीला भंसाली। |
Heeramandi के निर्माता | संजय लीला भंसाली और प्रेरणा सिंह। |
हीरामंडी द डायमंड बाजार का समीक्षा आलेखक | पंकज शुक्ला |
ओटीटी | नेटफ्लिक्स |
रेटिंग | 4/5 |
संजय लीला भंसाली की मेहनत फेन के दिल पर राज कर पायेगी ‘हीरामंडी’
संजय लीला भंसाली ने फिल्म उद्योग को कई अद्वितीय और दिलचस्प फिल्मों से नवाजे हैं, जैसे कि ‘हम दिल दे चुके सनम’, ‘ब्लैक’, ‘देवदास’, ‘गुजारिश’, ‘गोलियों की रासलीला रामलीला’, ‘बाजीराव मस्तानी’ और ‘पद्मावत’. उनकी फिल्मों में कहानियों का रस कैमरे के माध्यम से परदे पर उतरता है। उनकी पिछली फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ मुंबई के वेश्याबाजार की कहानी थी, इस बार वह लाहौर की ओर देख रहे हैं। यहां की तवायफें किसी भी को हमबिस्तर नहीं करतीं, वे नवाबों या अंग्रेज अधिकारियों को अपना ‘साहब’ बनाने की फिराक में होतीं हैं। यदि ऐसा नहीं होता, तो उनकी जामातलाशी होती है। फिल्म ‘हीरामंडी’ की कहानी एक ऐसे दायरे में घूमती रहती है जहां साजिशें, मोहब्बत की कहानियां, और अंग्रेज अफसरों का इस्तेमाल किया जाता है।

वेब सीरीज ‘हीरामंडी: द डायमंड बाजार’ कितने एपिसोड में देखने मिलेगी
वेब सीरीज ‘हीरामंडी: द डायमंड बाजार’ में हमें आठ एपिसोड देखने को मिलते हैं। इसमें लाहौर के शाही महल के पास एक मोहल्ले की कहानी दिखाई गई है, जहां यूज़बेकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान से लड़कियों को लाया जाता था और उन्हें नाचना-गाना सिखाया जाता था। इन तवायफों के डांस को देखकर, मोहल्ले में कई नवाब आकर उनसे मिलने आते थे और उन्से मनोरंजन किया जाता था। अंग्रेजों के समय में, इस मोहल्ले को ‘हीरामंडी बाजार-ए-हुस्न’ का नाम दिया गया और इसे रेड लाइट एरिया का दर्जा दिया गया।